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नारियल शुभ, समृद्धि और सम्मान का प्रतीक क्यों?

हिंदुओं के प्रत्येक धार्मिक उत्सवों, पूजा-पाठ और शुभ कार्यों की शुरुआत में सर्वप्रथम नारियल को याद किया जाता है। इसे शुभ, समृद्धि, सम्मान, उन्नति और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। देवी-देवताओं को नारियल की भेंट चढ़ाने का प्रचलन आम है। प्रत्येक शुभ कार्य में नारियल पर कुंकुम की पांच बिंदियां लगाकर कलश पर चढ़ाया […]

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जानें पूजा-पाठ में दीपक दिया क्‍यों जलाया जाता है !

भारतीय संस्कृति में प्रत्येक धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम में दीप प्रज्वलित करने की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि अग्निदेव को साक्षी मानकर उसकी उपस्थिति में किए कार्य अवश्य ही सफल होते हैं। हमारे शरीर की रचना में सहायक पांच तत्त्वों में से एक अग्नि भी है। दूसरे अग्नि पृथ्वी पर सूर्य का परिवर्तित […]

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यजमान व पूजा सामग्री पर जल के छींटे क्यों?

पूजा-पाठ हो या कोई और धार्मिक कार्य, उसमें जब यजमान को आसन पर बैठाया जाता है, तो सबसे पहले उस पर जल छिड़कते हुए पंडित यह मंत्रोच्चारण करते हैं- ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा, यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं सःवाह्याभ्यन्तरः शुचिः । अर्थात् चाहे अपवित्र हो या पवित्र किसी भी अवस्था में हो, यदि वह […]

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पूजा से पहले स्नान क्यों आवश्यक है ?

कूर्मपुराण के अध्याय 18, श्लोक 6 से 9 में कहा गया है-‘दृष्ट और अदृष्ट फल देने वाले प्रातःकालीन शुभस्नान की सभी प्रशंसा करते हैं। नित्य प्रातः काल स्नान करने से ही ऋषियों का ऋषित्व है। सोये हुए व्यक्ति के मुख से निरंतर लार बहती रहती है, अतः सर्वप्रथम स्नान किए बिना कोई कर्म नहीं करना […]

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धार्मिक कर्मकांडों (पूजा- पाठ) में पुष्प फूलों का महत्त्व क्यों?

भारतीय संस्कृति में पुष्प का उच्च स्थान है। देवी-देवताओं और भगवान् पर आरती, व्रत, उपवास या पवाँ पर पुष्प चढ़ाए जाते हैं। धार्मिक अनुष्ठान, संस्कार व सामाजिक, पारिवारिक कार्यों को बिना पुष्प के अधूरा समझा जाता है। पुष्पों की सुगंध से देवता प्रसन्न होते हैं। सुंदरता के प्रतीक पुष्प हमारे जीवन में उल्लास, उमंग, प्रसन्नता […]

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धार्मिक कर्मकांड (पूजा- पाठ) में आसन पर बैठना आवश्यक क्यों?

पूजा-पाठ, साधना, तपस्या आदि कर्मकांड के लिए उपयुक्त आसन पर बैठने का विशेष महत्त्व होता है। ब्रह्मांडपुराण तंत्रसार में कहा गया है कि इन कर्मकांडों हेतु भूमि पर बैठने से दुख, पत्थर पर बैठने से रोग, पत्तों पर बैठने से चित्तभ्रम, लकड़ी पर बैठने से दुर्भाग्य, घास-फूस पर बैठने से अपयश, कपड़े पर बैठने से […]

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शुभ कार्यों में पूर्व दिशा में ही मुख क्यों?

यह तो हम सभी जानते हैं कि सूर्य पूर्व दिशा की ओर से उदित होता है। वेदों में उदित होते हुए सूर्य की किरणों का बहुत महत्त्व बताया गया है- उद्यन्त्सूर्यो नुदतां मृत्युपाशान् । – अथर्ववेद 17/1/30 अर्थात् उदित होता हुआ सूर्य मृत्यु के सभी कारणों अर्थात् सभी रोगों को नष्ट करता है। सूर्य की […]

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ब्रह्म मुहूर्त में उठने के निर्देश क्यों?

ब्रह्म मुहूर्त में क्यों उठाना चाहिए ? Brahma Muhurta Me Kyu Uthna Chahiye? ऐसा माना जाता है कि रात्रि 12 बजे से प्रातः 4 बजे तक आसुरी व गुप्त शक्तियों का प्रभाव रहता है। ब्रह्म मुहूर्त में यानी प्रातः 4 बजे के बाद ईश्वर का वास होता है। ब्रह्म मुहूर्त का नाम ब्रह्मी शब्द से […]

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आत्मा को अमर क्यों माना जाता है?

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार आत्मा ईश्वर का अंश है, अतः यह ईश्वर की ही भाति अजर-अमर है। संस्कारों के कारण इस दुनिया में उसका अस्तित्त्व भी है। वह जब जिस शरीर में प्रवेश करती है, तो उसे उसी स्त्री या पुरुष के नाम से पुकारा जाता है। आत्मा का न कोई रंग है और न […]

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सबसे बड़ा दान क्या है ? Sabse Bada Daan Kya Hai ?

दान देना मनुष्य जाति का सबसे बड़ा तथा पुनीत कर्तव्य है। इसे कर्तव्य समझकर दिया जाना चाहिए और उसके बदले में कुछ पाने की इच्छा नहीं रहनी चाहिए। अन्नदान महादान है, विद्यादान और बड़ा है। अन्न से क्षणिक तृप्ति होती है, किंतु विद्या से जीवनपर्यंत तृप्ति होती है। ऋग्वेद में कहा गया है- संसार का […]

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